किदार शर्मा और पृथ्वीराज कपूर की दोस्ती फ़िल्म: चेतक (1960) के बाद और गहरी हो गयी

Photo of author

By Mohammad Shameem Khan

Picture: Social Media

फ़िल्म निर्देशक किदार शर्मा और मशहूर और मारूफ़ अभिनेता पृथ्वी राज कपूर की दोस्ती हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में काफ़ी मशहूर थी. दोनों एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे. पृथ्वीराज कपूर के साहबज़ादे राज कपूर ने जब अपने वालिद के सामने फ़िल्मों में काम करने की इच्छा ज़ाहिर की तो पृथ्वीराज कपूर ने किदार शर्मा के पास फ़िल्मों की बारीकियां समझने के लिए भेजा.

राज कपूर ने फ़िल्म और फ़िल्म मेकिंग से जुड़ी तमाम बारीकियां किदार शर्मा से ही सीखीं और फ़िल्म मेकिंग में एक अलग मकाम हासिल किया…

उन्होंने ही पहली बार राज कपूर को फ़िल्म में ब्रेक दिया था फ़िल्म थी – नील कमल (1947) और इस फ़िल्म में उनकी हिरोइन थीं मधुबाला. किदार शर्मा हमेशा नए कलाकारों के साथ फिल्में बनायीं. पंडित जवाहर लाल नेहरू के परामर्श पर किदार शर्मा को चिल्ड्रन फ़िल्म सोसाइटी का डायरेक्टर इन चीफ़ बनाया गया. इस फ़िल्म सोसाइटी के लिए किदार शर्मा ने कई प्रेणादायक फिल्में बच्चों के लिए बनायीं. सन 1956 में फ़िल्म जलदीप के लिए उन्हें बेस्ट चिल्ड्रन फ़िल्म का नेशनल अवार्ड दिया गया.

यह बात उन दिनों की है जब किदार शर्मा चिल्ड्रन फ़िल्म सोसाइटी के लिए चेतक नाम की फ़िल्म बना रहे थे, लेकिन बात अटक गयी कि महाराणा प्रताप कौन बनेगा. किदार शर्मा ने कहा कि एक ही इंसान है जो महाराणा प्रताप का क़िरदार निभा सकता है और वह है -पृथ्वी राज कपूर. चिल्ड्रन सोसाइटी वाले मान गए. पृथ्वीराज कपूर को मानाने का ज़िम्मा उनके हिस्से आया.

जब उन्होंने पृथ्वीराज से बात की तो वह तुरंत मान गए और बहुत ख़ुश हुए कि उन्हें इस भूमिका के लिए चुना गया लेकिन उन्होंने मज़ाक में कहा, “यार किदार! इतने दिनों बाद तुमने कोई फ़िल्म ऑफर की और वह भी सेकंड लीड के लिए, इसमें असली भूमिका तो ‘चेतक’ की है.

फ़िल्म को तेज़ी से फिल्माया गया और चेतक की मौत के बाद महाराणा प्रताप के द्वारा उसे विदा करने का दृश्य फिल्माया जाना था. साड़ी तैयारियां हो चुकीं थी. पृथ्वीराज कपूर को डायलाग बोलने का बहुत शौक़ था. इस फ़िल्म के साथ साथ पृथ्वीराज कपूर मुग़ल-ए- आज़म भी शूट कर रहे थे और उस फ़िल्म में उनके बड़े बड़े डायलॉग्स थे, तो उन्होंने सोचा कि चेतक की मौत के वक़्त भी उन्हें कोई लम्बे डायलॉग वाला सीन मिलेगा.

फ़िल्म ‘चेतक’ (1960) का एक दृश्य
Picture: Social Media

पृथ्वीराज कपूर तैयार होकर आये और आते ही किदार शर्मा से पूछा, लाइये डायलाग दीजिये ताकि मैं याद कर लूँ. किदार शर्मा ने जवाब दिया कि कोई डायलाग नहीं है. यह सुन कर पृत्वीराज कपूर को बहुत ताज्जुब हुआ. कुछ सोचते हुए वो बोले, ऐसा कैसे हो सकता है कि इतने भावुक सीन में कोई डायलॉग न हो ?

किदार शर्मा ने जवाब दिया, जानवर डायलॉग्स नहीं समझते हैं. तुम अपना मुँह चेतक के मुँह पर रख कर दो मिनट तक चुप रहना, और ऐसे ही दृश्य फ़िल्माया गया और जब उस दृश्य को पृथ्वीराज ने परदे पर देखा तो अपने आंसूं रोक नहीं पाए और अपने दोस्त किदार शर्मा को गले लगाए बिना नहीं रह सके. बच्चों के लिए बनाई गयी यह फ़िल्म 1960 में रिलीज़ हुई थी.

Picture: Social Media

बात 1972 की है जब पृथ्वीराज कपूर बीमार हुए और अस्पताल में भर्ती हुए तो उनसे मिलने के लिए किदार शर्मा अस्पताल गए और उन्हें दिलासा दिलाते हुए बोले, महाराणा प्रताप इतनी आसानी से नहीं मरेगा, अभी तुम्हे मेरे साथ और काम करना है. पृथ्वीराज कपूर उन्हें देखते रहे और धीरे से बोले – जानवर डायलॉग्स नहीं समझते. इतना सुनते ही दोनों दोस्त रो दिए. शायद यह दोनों का आख़िरी मिलन था.

पृथ्वीराज कपूर से मिलने के बाद किदार शर्मा वापस जाने लगे अभी वह सीढ़ियों से नीचे उतर ही रहे थे कि पीछे से शम्मी कपूर भागते हुए आये उनकी आँखों में आँसू थे, बोले – अंकल, पिता जी चल बसे. 29 मई 1972 को उनका सबसे प्यारा दोस्त यह दुनिया छोड़ कर चला गया. 29 अप्रैल 1999 को किदार शर्मा भी इस फ़ानी दुनिया से चले गए. दोनों दोस्तों की मौत की तारीख़ एक ही रही.

किदार शर्मा ने चिल्ड्रन फ़िल्म सोसाइटी के लिए 16 फिल्में बनायीं.

Leave a Comment

error: Content is protected !!