अमीन सयानी की पैदाइश 21 दिसंबर 1932 में मुंबई में हुई थी. अमीन सयानी ने रेडियो की दुनिया में बड़ा नाम कमाया. उनकी आवाज़ और अंदाज़ ने लोगों के दिलों में घर कर गया था. पारंपरिक “भाइयों और बहनों” के विपरीत अपने श्रोताओं को “बहनों और भाइयों” के साथ संबोधित करने की उनकी शैली को अभी भी एक मधुर स्पर्श के साथ एक घोषणा के रूप में माना जाता है. उन्होंने 1951 से अब तक 54,000 से ज़्यादा रेडियो कार्यक्रमों और 19,000 स्पॉट/जिंगल्स का निर्माण, संचालन किया है. उन्होंने अपने कार्यक्रम बिनाका गीत माला ज़रिये पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में मक़बूलियत हासिल की.
करियर की शुरुवात इंग्लिश प्रेसेंटर के तौर पर की–
अमीन सयानी को उनके भाई हामिद सयानी ने ऑल इंडिया रेडियो, बम्बई से परिचित कराया था. अमीन ने वहां दस सालों तक अंग्रेजी कार्यक्रम प्रेजेंट किये.
बाद में, उन्होंने भारत में ऑल इंडिया रेडियो को लोकप्रिय बनाने में मदद की. अमीन सयानी ने भूत बंगला (1965), तीन देवियां (1965), बॉक्सर (1965)और क़त्ल (1986) जैसी फ़िल्मों में नज़र आये. इन सभी फ़िल्मों में वह किसी न किसी कार्यक्रम में उद्घोषक की भूमिका में नज़र आये.
सयानी ने महात्मा गांधी के निर्देशों के तहत एक पत्रिका रहबर (1940 से 1960) के संपादन, प्रकाशन और पब्लिकेशन में अपनी मां कुलसुम सयानी की मदद के तौर पर अपने करियर की शुरुवात की. यह पत्रिका देवनागरी (हिंदी), उर्दू और गुजराती भाषाओँ में एक साथ प्रकाशित हुआ करता था – लेकिन सभी महात्मा गांधी द्वारा प्रचारित सरल “हिंदुस्तानी” भाषा में.
उन्होंने 1960-62 के दौरान टाटा ऑयल मिल्स लिमिटेड के विज्ञापन विभाग में ब्रांड एक्जीक्यूटिव के रूप में काम किया था – मुख्य रूप से उनके साबुन: हमाम और जय के लिए.
उनका रेडियो शो बिनाका गीतमाला पहले रेडियो सीलोन से प्रसारित होता था और इस कार्यक्रम ने लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. 1952 में शुरू हुआ यह प्रोग्राम 30 मिनट्स का हुआ करता था. बाद में इसकी लोकप्रियता को देखते हुए प्रोग्राम को विविध भारती पर प्रसारित किया गया.
यह कार्यक्रम हर बुधवार रात 8 बजे शुरू होता था और इस कार्यक्रम की लोकप्रियता का आलम यह था कि हर कोई इसे सुनने के लिए बेक़रार रहता था. हर घर, हर गली मोहल्ले में लोगों के कान रेडियो से चिपक जाते थे जब यह कार्यक्रम प्रसारित होता था. सायानी साहब अपने ख़ास अंदाज़ में कहते थे बहनों भाइयों मैं अमीन सायानी बोल रहा हूँ.. और अब इस बरस का बिनाका गीतमाला का सरताज गीत…
उन्हें 2007 में नई दिल्ली के प्रतिष्ठित हिंदी भवन द्वारा उन्हें “हिंदी रत्न पुरस्कार” से सम्मानित किया गया.
रेडियो की दुनिया में उनके योगदान के लिए उन्हें कुछ प्रेस्टीजियस अवार्ड से नवाज़ा गया. उनमें से कुछ यूँ हैं –
लिविंग लीजेंड अवार्ड (2006)
गोल्ड मेडल (1991) इंडियन सोसाइटी ऑफ़ एडवरटाइजमेंट की तरफ़ से
पर्सन ऑफ़ थे ईयर अवार्ड (1992) लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड की तरफ़ से
अमीन सयानी द्वारा रेडियो शो का निर्माण
सिबाका (पूर्व में बिनाका) गीतमाला: 1952 से प्रसारण – मुख्य रूप से रेडियो सीलोन पर, और बाद में विविध भारती (एआईआर) पर – कुल 42 वर्षों से अधिक समय तक.
4 साल के अंतराल के बाद इसे फिर से शुरू किया गया, और 2 साल के लिए कोलगेट सिबाका गीतमाला के रूप में विविध भारती के राष्ट्रीय नेटवर्क पर प्रसारित किया गया.
एस. कुमार की फ़िल्म मुक़द्दमा और फ़िल्म मुलाक़ात: 7 वर्षों तक आकाशवाणी और विविध भारती पर. एक दशक के बाद विविध भारती पर एक वर्ष के लिए पुनः प्रसारण
बॉर्नविटा क्विज़ प्रतियोगिता (अंग्रेजी में): 8 साल तक. (1975 में उनकी मृत्यु के बाद उनके भाई और गुरु, हामिद सयानी से पदभार संभाला)
मराठा दरबार शो: सितारों की पसंद, चमकते सितारे, महकती बातें, आदि: 14 वर्ष.
संगीत के सितारों की महफ़िल: 4 साल तक
सयानी ने एचआईवी/एड्स मामलों पर आधारित नाटकों के रूप में 13-एपिसोड की रेडियो श्रृंखला भी बनाई – जिसमें प्रख्यात डॉक्टरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साक्षात्कार भी शामिल हैं. (श्रृंखला – जिसका शीर्षक स्वनाश था – ऑल इंडिया रेडियो द्वारा शुरू की गई थी, और इसके ऑडियो कैसेट कई गैर सरकारी संगठनों द्वारा अपने क्षेत्र-कार्य के लिए हासिल किए गए हैं.)
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