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फ़िल्म : यहूदी की लड़की (1933)

फ़िल्म : यहूदी की लड़की (1933)
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हिंदी सिनेमा को आवाज़ मिलने के थीं 2 साल बाद सन 1933 में रिलीज़ हुई उर्दू / हिंदी कॉस्ट्यूम ड्रामा फ़िल्म ‘यहूदी की लड़कीजिसका निर्देशन प्रेमांकुर ऑटोरथी ने किया था. यह फ़िल्म न्यू थिएटर्स लिमिटेड कलकत्ता (अब कोलकाता) के प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बनी थी. अगर इस फ़िल्म के कलाकारों की अगर बात की जाये तो इस फ़िल्म में के. एल. सहगल, रत्तन बाई, नवाब कश्मीरी, पहाड़ी सान्याल, गुल हामिद और कुमार थे. यह फ़िल्म आग़ा हशर कश्मीरी के नाटक – यहूदी की लड़की पर आधारित था. आग़ा साहब ने ही इस फ़िल्म की पटकथा लिखी थी, कहा तो ये भी जाता है कि उन्होंने ही फ़िल्म के गीत भी लिखे हैं लेकिन फ़िल्म का एक गीत ग़ालिब साहब की लिखी हुई ग़ज़ल है जिसे के. एल. सहगल साहब ने आवाज़ दी थी. इस फ़िल्म का संगीत पंकज मालिक ने तैयार किया था. संगीतकार के तौर पर यह उनकी पहली फ़िल्म थी. इस फ़िल्म के संवाद वजाहत मिर्ज़ा ने लिखे थे और सिनेमाटोग्राफी नितिन बोस की थी.

फ़िल्म की कहानी:
प्रिंस एजरा (नवाब) एक यहूदी व्यापारी है जिसे रोमनों, विशेषकर रोमन पुजारी ब्रूटस द्वारा सताया गया था. एज्रा अपने सात साल के बेटे यामीन के साथ रहता है. एक दिन, अपनी गुलेल से खेलते वक़्त, यामीन अनजाने में पुजारी ब्रूटस को मारने में सफल हो जाता है, जब वह सामने से गुजर रहा होता है. लड़के को बंदी बना लिया गया है और कोई भी प्रार्थना ब्रूटस की सज़ा को नहीं बदल सकती. उसने लड़के को जानवरों के सामने फेंकवा दिया है. एलियास, एज्रा का समर्पित दास ब्रूटस की युवा बेटी डेसिया का अपहरण कर लेता है और बदला लेने के लिए उसे दुःखी एज्रा के पास ले आता है. उसे नुकसान पहुंचाने में असमर्थ और यामीन को याद करने में, एज्रा डेसिया को अपनी बेटी के रूप में लाता है और उसका नाम हन्ना रखता है.

फ़िल्म : यहूदी की लड़की का एक सीन
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वर्षों बाद, बड़ी हो चुकी हन्ना (रतन बाई) को रोमन मार्कस ( केएल सहगल) द्वारा बचाया जाता है) रोमन सैनिकों से जिन्होंने उस पर हमला किया था. चूँकि मार्कस एक यहूदी के भेष में है, हन्ना उस पर विश्वास करती है और उसे घर ले आती है. हालांकि मार्कस की राजकुमारी ऑक्टेविया (ताराबाई) से सगाई हो चुकी है, फिर भी दोनों में प्यार हो जाता है। हन्ना को जल्द ही पता चला कि मार्कस एक रोमन है. एज्रा और हन्ना दोनों को समझाने और समझाने के बाद, मार्कस एज्रा को उनकी शादी के लिए राजी करने में क़ामयाब हो जाता है. एज्रा चाहता है कि वह एक यहूदी बन जाए और मार्कस मना कर देता है और चला जाता है. घर पहुँचने पर वह ऑक्टेविया से शादी करने के लिए सहमत हो जाता है; शादी के दिन हन्ना उसे पहचान लेती है.

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एज्रा और हन्ना दोनों ने सम्राट से मार्कस को बेवफा होने के लिए दंडित करने का अनुरोध किया. सम्राट ने मार्कस पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया. ऑक्टेविया ने हन्ना से अपना बयान वापस लेने का आग्रह किया. जब वह ऐसा करती है, तो ब्रूटस ने उन्हें राजकुमार के खिलाफ झूठ बोलने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उन्हें जला देने की सज़ा दी जाती है. एज्रा ने पहले ब्रूटस से एक वादा लिया कि जब वह उसे बताएगा कि उसकी काफ़ी वक़्त से खोई हुई बेटी डेसिया कहाँ है तो वह तुरंत हन्ना को तेल में जला देगा. ब्रूटस अधीरता से सहमत हैं. एज्रा अब ब्रूटस को हन्ना के उसकी बेटी डेसिया होने के बारे में सच्चाई बताती है. ब्रूटस नम्र हो जाता है क्योंकि उसे जाति और धर्म की निरर्थकता का एहसास होता है. हन्ना एक सूफ़ी इंसान को देखती है और अपनी ज़िन्दगी को छोड़ कर संत से गुज़ारिश करता है कि वह उसे अपना चेला बना ले, सूफ़ी मान जाते हैं और हन्ना उनके साथ चल देता है. फ़िल्म यहीं पर समाप्त हो जाती है.

फ़िल्म में अगर कलाकारों की बात करें तो –
प्रिंस मार्कस के रूप में के.एल. सहगल
डेसिया/हन्ना के रूप में रत्तन बाई
एज्रा के रूप में नवाब कश्मीरी
गुल हामिद
ताराबाई राजकुमारी ऑक्टेविया के क़िरदार में
पहाड़ी सान्याल रोमन सम्राट के क़िरदार में
मुज्जन कुमार
निम्मो
गुलाम मोहम्मद
राधारानी
इस फ़िल्म की अगर संगीत या मौसिक़ी की बात करें तो न्यू थियेटर्स की फिल्मों के मशहूर होने की एक वजह इसका संगीत भी था. इसमें अपने वक़्त के तीन लोकप्रिय संगीत निर्देशक काम करते थे: तिमिर बरन, आरसी बोराल और पंकज मलिक. यहूदी की लड़की फिल्म पंकज मलिक की पहली फिल्म थी. के. एल. सहगल साहब की आवाज़ में मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़ल “नुक्ताचीन है ग़मे दिल” अपने वक़्त में बहुत मक़बूल हुई थी. इस ग़ज़ल को राग भीम पलासी में गया गया था, और सबसे ख़ास बात यह थी इस ग़ज़ल की कि इसमें सिर्फ हारमोनियम और तबले का इस्तेमाल किया गया था. फ़िल्म में कुल 5 गाने थे जिसमें से 4 गाने के. एल. सहगल की आवाज़ में था.

K. L. Saigal
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फ़िल्म के और गाने-
1 “ये तसर्रुफ़ अल्लाह अल्लाह तेरे मैखाने में है” के. एल. सहगल
2 “लग गई चोट करेजवा में” के. एल.सहगल
3 “लाख सही हैं पी की बेटियाँ” के. एल. सहगल
4 “नुक्ताचीन है ग़मे-दिल” के. एल. सहगल
5 “अब शाद है दिल” उत्पल सेन

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