हिंदी सिनेमा के शुरुवाती दौर में बहुत से ऐसे कलाकार हुए जिन्होंने ख़ूब काम किया लेकिन वक़्त के साथ भीड़ में कहीं गुम हो गए. वह कहाँ गए उनका क्या हुआ किसी को नहीं पता या किसी ने जानना भी नहीं चाहा. उन्ही कलाकारों में से एक रहीं अदाकारा चंदा बाई. अब आप सोच रहे होंगे कि भला यह कौन अदाकारा हैं. दोस्तों एक्ट्रेस चंदा बाई ने सिनेमा के शुरुवाती दौर में अपने अभिनय की पारी शुरू की थी उनकी पहली फिल्म माधुरी थी जोकि 1932 में रिलीज़ हुई थी. हमारी फिल्मों को आवाज़ मिलने के ठीक एक सार बाद उन्होंने रुपहले परदे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. मेरा भी ध्यान उन पर तब गया जब मैं पाकीज़ा फिल्म देख रहा था और फिल्म के एक सीन में उन्हें दिखाया जाता है. तो मैंने सोचा भला यह कौन अभिनेत्री है. तो इनके बारे में खोज बीन की तो पता चला कि इस अभिनेत्री का नाम चंदा बाई है.
इनके बारे में और रिसर्च किया तो ज़्यादा कुछ ख़ास पता नहीं चल पाया जैसे कि इनकी पैदाइश कहाँ हुई थी इनके घर में कौन कौन था. फ़िल्मी दुनिया से अलग होने के बाद इनका क्या हुआ. खैर इनके बारे में ज़्यादा कुछ ख़ास पता नहीं चलता है बस इनकी फिल्मों के बारे में पता चला. जैसा कि आपको वीडियो की शुरुवात में ही बताया था कि एक्ट्रेस चंदा बाई की पहली फिल्म माधुरी थी जो 1932 में रिलीज़ हुई थी और उनकी आखिरी फ़िल्म पाकीज़ा थी जिसमें इन्होने बहुत छोटा सा रोल किया था. 1932 में ही इनकी एक और फ़िल्म ‘आँख का तारा’ रिलीज़ हुई थी.
1933 फिल्म सुलोचना 1934 में दो फिल्में- नागिन और गुल सनोबर, 1935 में दो फिल्में वामक अज़रा और अनार कली. 1942 आँख मिचोली – , 1943 आबरू आदाब अर्ज़ और संजोग, 1944 में पांच फिल्में – गली, गीत, पहले आप, रतन, सुनो सुनाता हूँ, 1945 में तीन फिल्में – धन्ना भगत, नसीब और परिंदे, 1946 में दो फिल्में – दासी, शमा 1947 में दो फिल्में – महा सती तुलसी वृंदा, रेणुका, दीवानी 1948 में अंजुमन, मेला और नई रात 1949 में बसेरा, दिल्लगी, जन्मपत्री, पारस 1950 में आरज़ू, सरगम, मीना बाजार, 1951 में दो फिल्में – दशावतार , बड़ी बहु 1952 में तमाशा और रंगीली 1953 – आस, चालीस बाबा और एक चोर, जलियावाला बाघ की ज्योति, 1954 गवैय्या, हनुमान जन्मा, मन, महात्मा कबीर, 1955 में 6 फिल्मों में काम किया – शाह बेहरम, अंधेर नगरी चौपट राज, एकादशी, हाहा हेहे होहो (जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर होता है कि यह एक कॉमेडी फिल्म थी), सौ का नोट, श्री गणेश विवाह, 1957 में इनकी पांच फिल्में आईं – आशा, देख कबीरा रोया, जानी दुश्मन, जॉनी वॉकर, माया नगरी, 1958 में चार फिल्में रिलीज़ हुईं – मिस्टर कार्टून M. A. सहारा, सोने की चिड़िया, टैक्सी नंबर 555 , 1959 में इन्होने चार फिल्में की – ब्लैक मेलर, गूंज उठी शहनाई, नई राहें, प्यार की राहें और 1960 में 5 फिल्में – बॉम्बे की बिल्ली, अपना घर, नाचे नागिन बाजे बीन, बड़े घर की बहू, आलम आरा की बेटी, 1961 में दो भाई, 1962 में तीन फिल्में – बाजे घुंघरू, अनपढ़, ज़िन्दगी और हम, 1963 में बचपन, 1966 में दो फिल्में कंवांरी, अजनबी 1968 की फिल्म जवारी और 1972 में इनकी फ़िल्म पाकीज़ा रिलीज़ हुई. इतनी फिल्मों में काम करने के बावजूद भी इनके बारे में कुछ भी पता नहीं चलता है कि इनकी मौत कब हुई. इनके घर में कौन कौन था इसका कहीं से कोई सुराग़ नहीं मिलता है. उम्मीद करता हूँ आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी. दोस्तों अगर आपको इनके बारे में कोई जानकारी हो तो प्लीज हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं.