मुकरी और नादिरा का 1952 की फ़िल्म ‘आन’ की शूटिंग के दौरान का वह क़िस्सा जो कहीं खो गया.

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By Filmi Khan

मुकरी
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भारतीय सिनेमा ने हर मुद्दे पर फ़िल्म बनाई है और शायद ही कोई ऐसा मुद्दा रह गया हो जिस पर गाने न बने हो. सर्दी और रज़ाई का तो फ़िल्मों में खूब इस्तेमाल हुआ है, लेकिन इन फ़िल्मी गलियारों में सर्दी और रज़ाई से जुड़ा एक ऐसा क़िस्सा है जो वक़्त के साथ कहीं गायब हो गया, लेकिन उस वक़्त ये क़िस्सा ख़ूब चटकारे ले कर सुना जाता था. आज हम आपको वही क़िस्सा सुनाएंगे.

ये क़िस्सा उस वक़्त का है जब फिल्म ‘आन’ की शूटिंग इंदौर में चल रही थी. इस फिल्म में थे दिलीप कुमार, नादिरा और निम्मी. ये फिल्म टैक्नीकलर की पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म थी. इस फिल्म को बेहद बड़े बजट पर बनाया जा रहा था. शुरुवात में, नरगिस को इस फ़िल्म में कास्ट किया गया था, लेकिन वो ये फ़िल्म आर. के. स्टूडियोज के साथ अनुबंध में होने की वजह से नहीं कर पाईं, फिर मधुबाला के नाम पर भी विचार किया गया. लेकिन किन्ही वजह से बात नहीं बन पाई. आख़िरी में फ़िल्म के निर्देशक महबूब ख़ान ने इस फ़िल्म में नए चेहरे को लेने का फैसला किया. और काफी खोज के बाद उन्होंने नादिरा को मौक़ा दिया.

नादिरा
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चलिए अब वापस आते हैं उस क़िस्से पर जिसकी हमने पहले बात की थी.. दरअसल इस फ़िल्म की शूटिंग के दौरान नादिरा की रज़ाई में कॉमेडियन मुकरी घुस गए थे.
बात 1950 की है, महबूब ख़ान अपनी फ़िल्म की शूटिंग इंदौर में कर रहे थे और फ़िल्म की पूरी यूनिट लैंटर्न होटल यशवंत निवास रोड़ पर रुकी हुई थी और फ़िल्म के सभी कलाकारों को अलग अलग कमरे अलॉट किये गए थे. लेकिन कॉमेडियन मुकरी साहब ने ये कह दिया किया, कि उनका सामान उनके दोस्त दिलीप कुमार के कमरे में रख दिया जाये वो उनके साथ ही रूम शेयर करेंगे, लिहाज़ा उनका सामान दिलीप साहब के रूम में रख दिया गया. मुकरी साहब के हिस्से की शूटिंग देर रात तक चली और पैक-अप थोड़ा लेट हुआ. सर्दियों के मौसम में तो रात बहुत जल्दी गहरी हो जाती है. सारा इंदौर कोहरे की चादर में सोया हुआ था. शूटिंग ख़त्म करके मुकरी साहब होटल रवाना हुए तो वो ये भूल गए कि उनका सामान दिलीप कुमार के कमरे में रखा हुआ है. जब मुकरी साहब अपने अलॉटेड कमरे में गए तो उनके कमरे में रज़ाई नहीं थी, और इतनी सर्दी में बिना रज़ाई के सोना मुश्किल था तब उन्हें याद आया कि उनका सामान दिलीप कुमार के कमरे में है तब वो दिलीप के कमरे में सोने चल दिए.. जब वो दिलीप कुमार का कमरा ढून्ढ रहे थे तब होटल में लाइट नहीं थी, अँधेरे में कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. मुकरी साहब टटोलते हुए जा रहे थे उन्हें एक कमरे का दरवाज़ा खुला हुआ मिला और वो उसे दिलीप कुमार का कमरा समझ कर घुस गए…अँधेरे में और नींद में होने कि वजह से उन्हें ये नहीं पता चला कि बिस्तर पैर कौन सो रहा है और वो सीधे रज़ाई में घुस गए.. उनके रज़ाई में घुसते ही शोर मच गया. चीख़ पुकार मच गयी..

नादिरा और दिलीप कुमार फ़िल्म आन में PC: Internet

क्योंकि मुकरी जिस रज़ाई में घुसे थे वो दिलीप कुमार की नहीं बल्कि नयी एक्ट्रेस नादिरा की रज़ाई थी. नादिरा यूँ अँधेरे में किसी को अपनी रज़ाई में देख के घबरा गयीं और उन्होंने खूब शोर मचाया… सारे लोग इकठ्ठा हो गए रौशनी की गयी…
मुकरी साहब ने बात सँभालते हुए सबके सामने फटाफट नादिरा से मुआफी मांगी… और ग़लतफ़हमी होने की पूरी वजह बताई और वहाँ से भाग कर सीधे दिलीप कुमार के कमरे में आकर रहत कि साँस ली. लेकिन बात यहीं ख़त्म नहीं हुई अगले दिन नादिरा ने मुकरी कि शिकायत फ़िल्म के डायरेक्टर महबूब साहब से कर दी. महबूब साहब ने मुकरी को नसीहत दी कि आइंदा से ऐसा न हो.

मुकरी फ़िल्म आन में दिलीप कुमार के साथ

उन दिनों ऐसी अफवाह उड़ रही थी कि महबूब का चक्कर नादिरा से चल रहा है, हक़ीक़त क्या थी ये तो अल्लाह जाने.
इसलिए ये सारा मुआमला सुनकर महबूब खान की पत्नी फ़िल्म एक्ट्रेस सरदार अख़्तर शदीद परेशान हो गयी कि इतनी रात को आख़िर नादिरा ने अपना दरवाज़ा खुला क्यूँ रखा था?
कहीं ये दरवाज़ा महबूब खान के लिए तो नही खुला था.. जिसमे ग़लती से मुकरी घुस गए थे…
ख़ैर … उस दिन मुकरी की तो क्लास लगी सो लगी मगर मुकरी के चक्कर में मिसेस महबूब खान ने भी महबूब ख़ान साहब की क्लास भी लगा डाली…

मुकरी
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नादिरा और उनके रिश्तों को लेकर उनकी भी अच्छी- ख़ासी लेफ्ट राईट हो गयी…
नादिरा और महबूब साहब दोनों मुकरी से बहुत ख़फ़ा हुए , इधर दिलीप कुमार ने भी मुकरी को समझाया की इस तरह की बेवकूफियां अब दुबारा ना करे…वरना उनका करियर ख़राब हो सकता है
मुकरी बेचारे तो ठण्ड के मारे नादिरा की रजाई में घुस गए , ये बात समझ में आती है ,
मगर नादिरा किसके लिए दरवाज़ा खोलकर सो रही थी …?
ये आज तक समझ में नहीं आया… शायद वो ग़लती से खुला रह गया हो..
इसके पीछे क्या राज़ था…ये राज़ आज भी राज़ बना रहा…
इस राज़ को बेहतर ढंग से जानने वाले महबूब साहब , नादिरा , मुकरी , दिलीप कुमार ,निम्मी , सरदार अख़्तर , फरीदून ईरानी वगैरह कोई भी इस दुनिया -ए-फ़ानी में नहीं हैं…
लिहाज़ा उस दौर में यह क़िस्सा ख़ूब चटकारे लेकर सुनाया जाता था.

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