आशीष कुमार पौराणिक फ़िल्मों के सुपरस्टार जिन्होंने किया था,1975 की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म ‘जय संतोषी माँ’ में काम.

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By Filmi Khan

आशीष कुमार का नाम आते ही “जय संतोषी माँ” के चॉकलेटी सा हीरो याद आता है. ये सिनेमा के क्लासिक युग के हिंदी और बंगाली सिनेमा से जुड़े एक बेहतरीन अभिनेता और निर्देशक थे. अपनी ज़्यादातर फ़िल्मों में इन्होने पौराणिक भूमिकाएँ ही निभाईं. इन्हे जय संतोषी माँ (1975), जय द्वारकाधीश (1977) और राजा हरिश्चंद्र (1979) में उनकी निभाईं भूमिकाओं के लिए याद किया जाता है, जय संतोषी  माँ 1970 के दशक की ब्लॉकबस्टर हिट थी. आशीष कुमार ने  स्क्रीन पर लीड रोल्स और सहायक दोनों भूमिकाएँ निभाईं और हिंदी और बंगाली सिनेमा दोनों में बराबर मशहूर थे.

आशीष कुमार फ़िल्म -“जय संतोषी माँ” में.
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आशीष कुमार को असीस कुमार के नाम से भी जाना जाता था वैसे नाम में कुछ ज़्यादा फर्क नहीं है. हिंदी सिनेमा में आने से पहले वह बंगाली फिल्मों का हिस्सा हुआ करते थे. वह ज़्यादातर पौराणिक शैली के रोल्स को निभाने के लिए जाने जाते थे, और 1960 से  1970 के दशक में वो अपने  करियर के शिखर पर थे. जब पौराणिक फिल्में ख़ूब बनाई जाती थी और उन्हें दर्शकों से उन्हें ख़ूब प्यार मिलता था.  हालांकि 1970 का दौर एक्शन से भरपूर फ़िल्मों के लिए जाना जाता है, लेकिन ‘जय संतोषी माँ’ जैसी उनकी फ़िल्म कई हफ्तों तक सिनेमाघरों में हाउसफुल रही, ठीक उसी वक़्त जब हिंदी सिनेमा की एक आइकॉनिक एक्शन फिल्म शोले रिलीज़ हुई थी. ऐतिहासिक फ़िल्म ‘जय संतोषी माँ’ राष्ट्रीय उन्माद के रूप में उभरी थी जिसने हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया था.

आशीष की पहली बंगाली फ़िल्म1954 में बालयग्रास थी, उसके बाद आशा, सोनार काठी जैसी फ़िल्में आईं. वह हिंदी फ़िल्मों में बेहतर अवसरों की तलाश में 1960 के दशक की शुरुआत में बॉम्बे चले आये. 1963 में रिलीज़ हुई  ‘फूल बने अंगारे’ उनकी पहली हिंदी फ़िल्म बनी, उसके बाद भारत मिलाप, बहू बेटी, बीवी और मकान, नाग पंचमी, सीताराम राधेश्याम, संपूर्णदेवी दर्शन जैसी फ़िल्में रिलीज़ हुईं. बीवी और मकान उनकी दुर्लभ फ़िल्मों में से एक है, उसके बाद उन्होंने पौराणिक भूमिकाओं से बिल्कुल अलग, कॉमेडी फिल्मों में काम करना शुरू किया और वहां भी सफल रहे.

आशीष कुमार की अगर फ़िल्मोग्राफ़ी की बात करें तो उन्होंने जो फिल्में कीं उनमें से कुछ फिल्मों की डिटेल्स इस तरह है- बलायग्रास (1954), आशा (1956), सोनार काठी (1958), रतनलाल बंगाली (1960), फूल बने अंगारे (1963), भारत मिलाप (1965), बहु बेटी (1965), बीवी और मकान (1966), बलराम श्रीकृष्ण (1968), सूर्य देवता (1969), नतीजा (1969), दरोगा (1969), संपूर्ण तीर्थ यात्रा (1970), संपूर्ण देवी दर्शन (1971), नाग पंचमी (1972), महा शिवरात्रि (1972), सीताराम राधेश्याम (1973), हनुमान विजय (1974), जय संतोषी माँ (1975), डाकू और भगवन (1975), मीरा श्याम (1976), जय महालक्ष्मी माँ (1976), भगवन समाये संसार में (1973), गायत्री महिमा (1977), जय द्वारकाधीश (1977), जय अम्बे माँ (1977), सोलह शुक्रवार (1977), गंगा सागर (1978), करवा चौथ (1978), हर हर गंगे (1979), राजा हरिश्चंद्र (1979), प्रेम जाल (1979), बद्रीनाथ धाम (1980), नवरात्रि (1983), संत रविदास की अमर कहानी (1983).

आशीष कुमार की अगर निजी ज़िन्दगी में झांके तो पता चलता है कि उन्होंने मशहूर और मारूफ़ अदाकारा और डांसर बेला बोस से शादी की थी, जिनके साथ उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में एक्टिंग की, खासकर 1970 के दशक में, जय संतोषी माँ में अगर वो लीड रोल में थे तो बेला बोस ने इस फ़िल्म में उनकी भाभी की भूमिका अदा की थी. इस शादी से उन्हें दो बच्चे हुए, एक बेटी और एक बेटा.  23 नवंबर 2013 को गोवा में में वो दुनिया-ए- फ़ानी से बहुत ही ख़ामोशी के साथ रुख़सत हो गए,  हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा. पौराणिक फिल्मों के चाहने वालों के दिलों में वह हमेशा ज़िंदा रहेंगे. आशीष कुमार की यह कहानी आपको कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताइयेगा.

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