वाणी जयराम की आवाज में ‘हम को मन की शक्ति देना मन विजय करे…’ गीत लगभग सभी को याद होगा। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के कई भजन भी गाए थे, जो मीरा की भक्ति पर आधारित थे. इसलिए वाणी जयराम को भारत की मीरा भी कहा जाता था. राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और प्लेबैक सिंगर वाणी जयराम अब नहीं रहीं। वह 77 साल की थीं, जब उन्होंने आखिरी सांस ली.अभी 2022 में ही उन्हें भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण मिला था. वाणी जयराम चेन्नई के हैडोस रोड, नुंगमबक्कम में अपने घर में मृत मिलीं. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, उनके माथे पर चोट के निशान मिले हैं. उनके निधन से संगीत जगत में एक तरह की ख़ामोशी सी छा गयी है.
वाणी की पैदाइश तमिलनाडु के वेल्लोर में हुआ था, उनका असल नाम कलैवनी था,वह नौ भाई बहनों के परिवार में पांचवें नंबर पर थीं. उनके माता-पिता दुरईसामी अयंगर-पद्मावती, जो रंगा रामुनाजा अयंगर के अधीन प्रशिक्षित थे. वाणी जयराम को गीत सुनना काफी पसंद था और वह अक्सर रेडियो सीलोन सुना करती थीं, और उन्हें हिंदी फिल्मी गानों को इतना पसंद करती थीं कि वह रेडियो पर बार-बार बजने वाले गानों को याद करके घर पर ही भाई बहनों के सामने प्रस्तुतियां दिया करती थीं. 8 साल की उम्र में, उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो, मद्रास में अपनी पहली सार्वजनिक प्रस्तुति दी थीं.
वाणी ने अपनी फॉर्मल स्कूलिंग लेडी शिवसामी हाई स्कूल, चेन्नई से की। उसके बाद उन्होंने क्वीन मैरी कॉलेज, चेन्नई से ही स्नातक किया। अपनी पढ़ाई के बाद, वाणी भारतीय स्टेट बैंक, मद्रास में कार्यरत थीं और बाद में 1967 में, उन्हें हैदराबाद शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया.
1969 में वाणी की शादी जयराम से हो गयी और वह अपना परिवार बसाने के लिए मुंबई आ गईं. और अपना ट्रांसफर बैंक की मुंबई शाखा में ले लिया. उनके गायन कौशल को जानने के बाद, उनके पति जयराम ने वाणी को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षित होने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने पटियाला घराने के उस्ताद अब्दुल रहमान खान से संगीत की शिक्षा ली. संगीत के कठोर प्रशिक्षण के लिए उन्होंने अपनी बैंक की नौकरी छोड़ दी और संगीत को ही अपने पेशे के रूप में अपना लिया. उन्होंने खान के संरक्षण में ठुमरी, ग़ज़ल और भजन जैसे विभिन्न स्वर रूपों की बारीकियों को सीखा और अपना सार्वजनिक संगीत कार्यक्रम दिया. उसी साल, उनका परिचय संगीतकार वसंत देसाई से हुआ, जो गायक कुमार गंधर्व के साथ एक मराठी एल्बम रिकॉर्ड कर रहे थे. उनकी आवाज को सुनने के बाद, देसाई ने कुमार गंधर्व के साथ उसी एल्बम के लिए “ऋणानुबंधाचा” गीत गाने के लिए उसे चुना। एल्बम को मराठी दर्शकों के बीच बहुत लोकप्रियता मिली और युगल गीत को खूब सराहा गया. उन्होंने आगरा के अनुभवी गायक पंडित चरण के साथ गाया.
वसंत देसाई के साथ वाणी के अच्छे पेशेवर जुड़ाव की वजह से उन्हें हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म गुड्डी (1971) मिली. देसाई ने वाणी को फिल्म में तीन गाने रिकॉर्ड करने की पेशकश की, जिसमें जया बच्चन की मुख्य भूमिका वाला गाना “बोले रे पापिहारा” एक टॉक-ऑफ-द-टाउन गीत बन गया और उसे तुरंत पहचान मिली. मियाँ की मल्हार राग में रचित, इस गीत ने उनकी शास्त्रीय शक्ति का प्रदर्शन किया और बाद में उन्हें तानसेन सम्मान, लायंस इंटरनेशनल बेस्ट प्रॉमिसिंग सिंगर अवार्ड, ऑल इंडिया सिनेगोर्स सहित कई पुरस्कार और पुरस्कार दिलाए। 1971 में ही इन्हे सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए ऑल इंडिया फिल्म-गोर्स एसोसिएशन अवार्ड मिला. उनका दूसरा गीत हमको मन की शक्ति देना 1971 में गाने के रिलीज़ होने के बाद से वो गीत स्कूल की प्रार्थना बन गया और अब भी जारी है. उन्होंने अपने गुरु देसाई के साथ पूरे महाराष्ट्र राज्य का दौरा किया और स्कूली बच्चों को कई मराठी गाने सिखाए.
जयराम ने हिंदी सिनेमा के संगीत निर्देशकों के लिए कुछ गाने गाए, जो लोकप्रिय हैं, जिनमें संगीतकार चित्रगुप्त के साथ, नौशाद साहब के साथ पाकीज़ा (1972) का गीत – साजन सौतेन घर और आइना (1977), में आशा भोंसले के साथ युगल गीत दुल्हन बड़ी जादूगर्नी शामिल हैं. मदन मोहन की रचना प्यार कभी कम ना करना सनम, फिल्म एक मुट्ठी आसमान (1973) में किशोर कुमार के साथ एक युगल गीत, आर.डी. बर्मन का गीत ज़िंदगी में आप आए, छलिया में मुकेश के साथ एक युगल गीत (1973), श्यामजी घनश्यामजी की रचना तेरी झील सी गेहरी (दुल्हन की लकीर) नितिन मुकेश के साथ एक युगल गीत, और फिल्म धर्म और कानून में कल्याणजी आनंदजी द्वारा रचित एकल गीत.
वाणी जयराम ने फिल्म ‘ख़ून का बदला ख़ून’ (1978) से ओ.पी. नैय्यर द्वारा रचित कई गीत गाए, जिनमें मोहम्मद रफ़ी और उत्तरा केलकर और पुष्पा पगधरे के साथ युगल गीत भी शामिल हैं. उन्होंने रफ़ी के साथ जुर्म और सजा में लक्ष्मीकांत प्यारेलाल द्वारा रचित युगल गीत मैंने तुम्हें पा लिया, और जयदेव की फिल्म परिणय (1974) में मन्ना डे के साथ युगल गीत और सोलवा सावन (1979) में जयदेव द्वारा एकल गीत ,पी कहन’ गाया.
मीरा (1979) में पंडित रविशंकर द्वारा रचित गीत “मेरे तो गिरिधर गोपाल” ने सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। उन्होंने फिल्म मीरा के लिए 12 भजन रिकॉर्ड किए जो बेहद लोकप्रिय हुए.
वाणी जयराम ने पंडित बिरजू महाराज के साथ “होली गीत” और “ठुमरी दादरा और भजन” रिकॉर्ड किए. उन्होंने ओडिसी गुरु केलुचरण मोहोपात्रा के साथ पखावज बजाते हुए प्रफुल्लकर द्वारा रचित “गीता गोविंदम” भी रिकॉर्ड किया. जयराम ने “मुरुगन गाने” को उनके द्वारा लिखे गए गीतों के साथ उनके द्वारा रचित संगीत के साथ जारी किया.
उन्होंने 19 भाषाओँ में क़रीब दस हज़ार से अधिक गीत गए . तो दोस्तों ये थी महान गायिका वाणी जयराम की ज़िन्दगी की दास्तान, आपको कैसी लगी हमें ज़रूर बताइयेगा कमेंट बॉक्स में .