जयश्री गड़कर: 1987 के सीरियल रामायण में भगवान राम की माँ का क़िरदार निभाया

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By Filmi Khan

दोस्तों आज आपका ये दोस्त ‘जयश्री गड़कर’  की कहानी लेकर आया है. अभिनेत्री जयश्री की पैदाइश 21 मार्च 1942 को कर्नाटक के कारवार जिले के सदाशिवगढ़ गांव में एक साधारण से कोंकणी परिवार में हुई थी. जब वो पैदा हुईं थी तो उनके घर वाले उन्हें उन्हें मीना के नाम से पुकारते थे लेकिन बाद में जया और फिर जयश्री के नाम से उन्हें जाना जाने लगा. नन्हीं मीणा जब पांच साल की थीं तभी उनका परिवार मुंबई आ गया और फिर उनकी पढाई लिखाई और परवरिश यहीं हुई.

जयश्री गड़कर
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उन्हें बचपन से ही डांस और गायन में ख़ासी दिलचस्पी थी वह अपनी आत्मकथा ‘आशी में जयश्री’ में अपने बचपन को याद करते हुए कहतीं हैं कि वह अक्सर अपने घर पर डांस किया करती थीं और घर वालों ने डांस में उनका झुकाव देखा तो उन्हें विधिवत तरीके से डांस की शिक्षा दी गयी. उन्होंने मशहूर कोरियोग्राफर गोपी कृष्णा से कत्थक की शिक्षा ली थी और बाद में गायन की भी शिक्षा ली थी.

जयश्री गड़कर
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जयश्री गड़कर ने अपना फ़िल्मी सफर बाल कलाकार के तौर पर शुरू किया था, और उनकी पहली फिल्म तमाशा थी. इसके बाद उन्होंने साल 1955  में रिलीज़ हुई वी शांताराम की फिल्म ‘झनक झनक पायल बाजे’ में अभिनेत्री संध्या के पीछे डांस करने वाली साइड डांसर में से एक थीं, उस वक़्त इनकी उम्र महज़ 13  साल थी. इस फिल्म में उनके कत्थक के गुरु मुख्य भूमिका निभा रहे थे और जयश्री उस वक़्त उनसे डांस सीखा करती थीं और उनके डांस ग्रुप का हिस्सा भी थीं इसी वजह से वो इस फिल्म का हिस्सा थीं.

Jaishree Gadkar
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जयश्री गड़कर डांस में पूरी तरह से पारंगत हो गयीं थी इसलिए वो स्टेज पर अपने नृत्य का जौहर दिखाया करती थीं, इसी दौरान उन्होंने रूसी नेता के भारत आने पर उनके स्वागत में रखे गए एक समारोह में नृत्य किया था और उसी दौरान पुणे के एक फोटोग्राफर राम देवताले ने उनकी तसवीरें लीं और उन्हें प्रिंट करवा के अपने स्टूडियो में लगा दीं. जयश्री की उन तस्वीरों को मराठी फिल्मों के निर्देशक दिनकर पाटिल ने देखा और उन्हें अपनी फिल्म ‘दिसत तसन नसत’ में डांस करने का मौक़ा दिया. इस फिल्म में उस दौर के प्रसिद्ध मराठी अभिनेता राजा गोसावी के साथ उन्होने नृत्य किया था.

जयश्री गड़कर डांस करते हुए
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जयश्री गड़कर के करियर की प्रमुख फिल्म रही ‘संगत्ये आइका’ जिसने उन्हें मराठी फिल्म इंडस्ट्री में मुख्य अभिनेत्री के तौर पर स्थापित कर दिया, ये तमाशा आधारित एक फिल्म थी. इसी तरह उन्होंने राजा परांजपे की फिल्म ‘गठ पड़ली थाका थाका’ में काम किया इस फिल्म के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा. उसके बाद उन्होंने दर्जनों मराठी फिल्मों में काम किया जिनमें से सांगते एका’, ‘अवगाची संसार’, ‘मानिनी’ प्रमुख हैं. अगर उनकी हिंदी फिल्मों की बात की जाये तो लव कुश, बहारों के सपने, डिटेक्टिव, संपूर्ण महाभारत, हर हर गंगे, जियो तो ऐसे जियो, सनसनी, मास्टरजी, खुनी दरिंदा, मर मिटेंगे, क़ानून अपना अपना, अमीरी ग़रीबी, बॉम्बे तो मॉरिशस जैसी हिंदी फिल्मों में काम किया.  

जयश्री गडकर की अगर निजी ज़िन्दगी की बात की जाये तो इन्होने 1975 में मराठी थिएटर और फिल्मों के मशहूर अभिनेता बाल धुरी से शादी की थी, इस शादी से उन्हें एक बेटा है.  शादी के बाद भी जयश्री ने अभिनय जारी रखा और उन्होंने अपने हस्बैंड के साथ कुछ फिल्मों में काम भी किया, उनमें से मुंबई तो मॉरिशस प्रमुख फिल्म है. इतना ही नहीं इन दोनों ने मशहूर सीरियल रामायण में में भी साथ काम किया, इसमें महाराज दशरथ का क़िरदार बाल धुरी ने निभाया था तो माता कौशल्या की भूमिका जयश्री गडकर ने निभायी थी.  ये भूमिका इन्हे कैसे मिली इसके पीछे भी एक कहानी काफी मशहूर हुई, हुआ यूं कि जब रामानंद सागर ने उन्हें कौशल्या की भूमिका के स्क्रीन टेस्ट के लिए अपने ऑफिस में बुलाया तो वो अपने पति बाल धुरी को भी साथ लेकर गयीं और रामानंद सागर ने उन्हें देखा तो उन्हें दो भूमिकाओं के लिए ऑडिशन देने को कहा लेकिन बाल धुरी उन्हें महाराजा दशरथ की भूमिका के लिए ज़्यादा उपयुक्त लगे.  रामानंद के सीरियल रामायण में अपने टीवी डेब्यू के बाद वो घर घर पहचानी जाने जाने वाले चेहरों में से एक थीं.

जयश्री माता कौशल्या के रूप में.
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जयश्री गडकर ने अपने चार दशक से ज़्यादा लम्बे करियर में लगभग 250  से ज़्यादा फिल्मों में अभिनय किया, उनकी सबसे सफल फिल्म रही सांगते आइका जोकि 1959  में रिलीज़ हुई थी, एक थिएटर में ये फिल्म 132 सप्ताह तक चली, इस फिल्म में उनका डांस नंबर बहुत ज़्यादा लोकप्रिय हो गया था और उस डांस नंबर को आज भी फिल्मों के सबसे प्रतिष्ठित प्रदर्शनों में से एक माना जाता है. जयश्री ने निर्देशन की भी ज़िम्मेदारी संभाली और कई बेहतरीन फिल्में सिने प्रेमियों को दीं, उनकी अधिकांश फिल्मों की कहानिया सामाजिक मुद्दों पर आधारित थीं. उन्होंने एक भोजपुरी फिल्म भी निर्देशित की जिसका नाम सीता मैय्या था जो 1964  में रिलीज़ हुई थी.

जयश्री गड़कर  की ज़िन्दगी पर आधारित “सुवर्ण नायक जसश्री गडकर” नाम की पुस्तक उनके पति बाल धुरी ने लिखी है, 1986  में उन्होंने अपनी आत्मकथा “आशी में जयश्री” के नाम से लिखी. 

जयश्री गड़कर
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जयश्री गड़कर ने ना सिर्फ हिंदी और मराठी फिल्मों में बल्कि तमिल, गुजराती, भोजपुरी और पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है. उन्हें लगातार तीन सालों तक महाराष्ट्र सरकार की तरफ से उनकी फिल्म ‘साधी मनसन, पटलची सून, थंब लक्ष्मी कुंकू लवते’ के लिए बेहतरीन अभिनेत्री का पुरूस्कार जीता था. भारतीय फिल्म जगत की इस मशहूर अदाकारा ने हर वो भूमिका निभायी जो उनके दिल को भायी, जयश्री गड़कर ने 29 अगस्त, 2008 को इस दुनिया- ए- फ़ानी से रुख़सत हो गयीं. उनके जाने से सिनेमा की जो छति हुई है वो कभी नहीं भरी जा सकती.

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