सिनेमा के शुरुवाती दौर के संगीतकार: 1933 में की अपने करियर की शुरुवात लेकिन लोग उन्हें भूल गए.

Photo of author

By Filmi Khan

हिंदी सिनेमा के शुरुवाती दौर के संगीत निर्देशक मुश्ताक हुसैन के बारे में किसी भी तरह की कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है. मुझे तो लगता है यह नाम आज के संगीत प्रेमियों को शायद न पता हो. मुश्ताक एक शास्त्रीय गायक के रूप में प्रसिद्ध थे और उन्हें लोग उस्ताद कहा करते थे उस वक़्त संगीत निर्देशकों को उस्ताद कहा जाता था. उन्होंने अपने संगीतमय करियर की शुरुवात 1933 में फिल्मों में संगीत देने से शुरू की.

उनकी पहली फिल्म औरत का प्यार (1933) थी. उसके बाद उन्होंने सौतेली मां (1935), बाला की रात-(1936), ज़लज़ला (1936), पति पत्नी-1937, भेड़ी त्रिशूल-1938, इंडस्ट्रियल इंडिया (1938) बागबान-(1938),  निराली दुनिया (1940) कन्यादान-(1940), बादल-(1942), छेड़-छाड़ -1943 , डु या डाई -1944, दासी या मां-(1946) जैसी कुछ फिल्मों को ही उन्होंने संगीत दिया.  और उनकी आख़िरी फ़िल्म बॉम्बे 1949 थी. इसके बाद शायद उन्हें एहसास हुआ कि जनता की पसंद बदल रही है और वह उसमें फिट नहीं बैठ रहे हैं. 

1938 की अवधि के दौरान, नौशाद ने अपने संघर्ष के दिनों में उनके सहायक के रूप में काम किया और उनसे संगीत की बहुत सी बारीकियां सीखीं. फ़िल्मी दुनिया से अलग हो जाने के बाद क्या हुआ वह कहाँ गए इसके बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है. 1938 में रिलीज़ हुई उनकी फ़िल्म भगबान के गाने उस वक़्त काफी मक़बूल हुए थे. बहुत ढूंढ़ने पर भी उनकी कोई तस्वीर नहीं मिल पायी.

दोस्तों अगर आपके पास उनसे रिलेटेड कोई भी जानकारी उपलब्ध हो तो हमें ज़रूर बताइयेगा.  

मुश्ताक हुसैन Song-  https://www.youtube.com/results?search_query=bagban+1938+songs

मुश्ताक हुसैन Biography: 

Leave a Comment

error: Content is protected !!